टाइप २ डायबिटीज एक बहुत सामान्य बीमारी हो चुकी है. ऐसा माना जाता है की भारत में ही दुनिया के सबसे ज्यादा टाइप २ डायबिटीज के मरीज है.
ये एक खतरनाक स्थिति है. भारत जैसे देश में जहा चिकित्सीय स्थिति दयनीय है वहा ये बिमारी का इतना ज्यादा फैलना बहुत तकलीफ देह हो सकता है.
डायबिटीज के प्रकार
टाइप १ डायबिटीज
मधुमेह या डायबिटीज दो अलग-अलग प्रकार के होते है।
एक जो जन्मजात होता है वो है टाइप १ डायबिटीज। इसमें व्यक्ति में इन्सुलिन नहीं बनता और जो शक्कर या ग्लूकोस शरीर में खाने के माध्यम से पहुँचती है ुको ऊर्जा में नहीं बदला जा सकता।
ऐसे में व्यक्ति को इन्सुलिन के इंजेक्शन या पैच लेने पड़ते है.
टाइप २ डायबिटीज
दूसरी टाइप की डायबिटीज है टाइप २ डायबिटीज।
ये जन्मजात नहीं होती। ये व्यक्ति की जीवनशैली या कुछ बीमारियों और दवाओं की वजह से हो सकती है. पर भारत में अधिकतर लोग जीवन शैली की वजह से टाइप २ डायबिटीज से ग्रस्त हो जाते है.
ये पूरा लेख टाइप २ डायबिटीज से सम्बंधित है.
टाइप 2 डायबिटीज क्या है?
जब ब्लड शुगर लेवल या ग्लूकोज का स्तर बहुत ज्यादा हो जाता है तो ऐसी स्थिति को डायबिटीज कहा जाता है.
जैसा मैंने ऊपर कहा की अगर ये स्थिति बचपन से है या जीवन में बाद में ऑटो इम्यून डिसऑर्डर की वजह से उत्पन्न होती है तो ये टाइप १ मधुमेह है.
यदि ये स्थितियां जन्म या ऑटो-इम्यून नहीं हैं और आपको पहले दिन से इंसुलिन की आवश्यकता नहीं है तो यह मधुमेह का दूसरा प्रकार है। जिसे आम भाषा में टाइप २ डायबिटीज कहा जाता है.
आप जो भी कहते है अगर उसमे करोहयद्राते या प्रोटीन है या शक्कर है तो वो शरीर में ग्लूकोस उत्पन्न करती है.
ग्लूकोस को इन्सुलिन हार्मोन ऊर्जा में तब्दील करता है और आपकी कोशिकाएं सामान्य रूप से काम करती है.
हमारे शरीर में पैंक्रियास नामक ग्रंथि या ग्लांड्स होती है जो इन्सुलिन का उत्सर्जन या सिक्रीशियन करती है.
यह ग्लूकोज और इंसुलिन का एक चक्र है और यह हमारे जीवन के पहले मिनट से शुरू होता है।
परन्तु जीवन शैली अगर खराब है तो शरीर में बार बार ग्लूकोस का स्तर बढ़ता है और इसलिए शरीर में इन्सुलिन का उत्सर्जान बार बार होता है. और अगर ग्लूकोस की मात्रा शरीर में सामान्य से अधिक होती है तो वो डिस्बतेस को जन्म देती है.
भोजन के दो घंटे बाद : (140 mg/dL)
टाइप २ डायबिटीज कैसे होती है ?
आप ये तो समझ ही गए है की शरीर ग्लूकोस को ऊर्जा में बदलने के लिए इन्सुलिन नामक हार्मोन का इस्तेमाल करता।
अब इसको आप इस ढंग से समझिये। आप कोई एक स्वादिष्ट पकवान पहली बार खाते है तो आपको उसका भरपूर स्वाद मिलता है. पर अगर आप रोज उस पकवान को बार बार खाएंगे तो आपकी जीभ उसका भरपूर स्वाद नहीं ले पाएगी।
और अगर आप मान लीजिये उस पकवान को दिन में दस बार खाते है तो क्या होगा? एक समय ऐसा आएगा जब आपको उस पकवान से ही घृणा हो जाएगी।
ऐसा ही कुछ आपकी कोशिकाओं के साथ होता है. अगर आप सामान्य भोजन करते है और वो भी दिन में एक डिसिप्लिन के हिसाब से तो जितना भी इन्सुलिन है वो आराम से शरीर में खाने से बनने वाले ग्लूकोस को ऊर्जा में बदल कर कोशिकाओं में पंप कर सकता है.
पर अगर आप सामान्य से अधिक या बार बार खाते है तो शरीर में बार बार ग्लूकोस बढ़ेगा। इस वजह से बार बार इन्सुलिन बनेगा। और आपकी कोशिकाओं में उतने इन्सुलिन के प्रति विरक्ति या प्रतिरोध उत्पन्न हो जायेगा।
तो आगे होगा ये की आपकी कोशिकाएं उतने इन्सुलिन में ग्लूकोस को ऊर्जा की तरह लेने में असमर्थ हो जाएंगी.
ऐसा होने पर शरीर और अधिक इन्सुलिन बढ़ाएगा। और ये चक्र चलता रहेगा। जितना ज्यादा और जितनी बार कोशिकाओं पर इन्सुलिन की मार पड़ेगी वो उतना ज्यादा इन्सुलिन को प्रतिरोध करेगी। और इसी को इन्सुलिन रेजिस्टेंस कहते है.
इन्सुलिन रेजिस्टेंस ही बसीकली डायबिटीज टाइप २ है.
एक समय ऐसा आता है जब आपकी पैन्क्रीया ग्लैंड इन्सुलिन बनाना बंद कर देती है तो फिर आपको इन्सुलिन बहार से लेना पड़ता है. इंजेक्शन के माध्यम से या फिर पैच के माध्यम से.
भारत में इंजेक्शन ज्यादा चलते है.
पैंक्रियास क्यों इन्सुलिन बनाना बंद कर देती है?
जब शरीर में ग्लूकोस जरूरत से ज्यादा रहने लगता है तो शरीर उसको चर्बी में बदल कर स्टोर करता है. पैंक्रियास पर भी ये चर्बी जम जाती है और उसमे से इन्सुलिन निकलना बंद हो जाता है.
ऐसी स्थिति में आपके शरीर में ग्लूकोस बहुत अधिक बढ़ जाता है और इन्सुलिन बढ़ने वाली दवाइया काम करना बंद कर देती है.
और फिर डॉक्टर आपको इन्सुलिन के इंजेक्शन लेने को कहते है.
और इन्सुलिन कोशिकाओं का चक्र और ज्यादा जटिल हो जाता है. क्योकी आप इन्सुलिन जो शरीर में डाल रहे है वो अंततोगत्वा कोशिकाओं में और अधिक प्रतिरोध पैदा कर देता है. उसके चलते इन्सुलिन की मात्रा बढ़ानी पड़ती है.
तो मेरी नज़र में डायबिटीज टाइप २ इन्सुलिन का खेल है.
टाइप 2 डायबिटीज से कौन प्रभावित हो सकता है?
टाइप 2 डायबिटीज किसी भी उम्र में विकसित हो सकती है, यहां तक कि बचपन में भी।
हालांकि, ज्यादातर अधेड़ उम्र के और बड़े लोग ज्यादा प्रभावित होते हैं । टाइप 2 मधुमेह के विकास की संभावना अधिक है यदि आपके पास मधुमेह का पारिवारिक इतिहास है, 45 वर्ष से अधिक उम्र, मोटापे से ग्रस्त और अधिक वजन वाले लोगो को ये समस्या आसानी से हो सकती है.
यदि आप शारीरिक रूप से कम सक्रिय हैं या उच्च रक्तचाप जैसी समस्याएं हैं, तो टाइप 2 मधुमेह के विकसित होने की संभावना अधिक है।
मधुमेह के लक्षण:
टाइप 2 मधुमेह के सामान्य लक्षण नीचे सूचीबद्ध हैं:
- थकान
- धुंधली दृष्टि
- बार-बार पेशाब आना
- प्यास और भूख में वृद्धि
- असामान्य वजन कम करना
- हाथ और पैर में सुन्नता
जरूरी नहीं की ये लक्षण अचानक से प्रकट हो. कुछ लोगो में कई वर्ष लगते है. और कभी कभी तो अचानक इनमे से कुछ या एक लक्षण प्रकट होता है.
ऐसी स्थिति में ये ध्यान देना जरूरी है की आप अपनी नियमित जांच करवाते रहे और इन लक्षणों पर ध्यान रखे.
NIDDM मधुमेह के कारक:
टाइप २ डायबिटीज को चिकित्सीय भाषा में NIDDM भी कहा काटा है जिसका मतलब होता है नॉन इन्सुलिन डिपेंडेंट डायबिटीज मेलिटस
टाइप २ डायबिटीज इन करने से हो सकती है.
- जीन
- कम शारीरिक गतिविधि
- अधिक वजन और मोटापे से ग्रस्त होना
- इंसुलिन के लिए प्रतिरोध
- अधिक तनाव में रहना ।
टाइप २ डायबिटीज का इलाज ?
क्या मधुमेह का इलाज है?
अगर तकनीकी रूप से देखे तो मधुमेह का कोई इलाज नहीं।
पर अब बहुत से चिकित्सक ये मानते है की टाइप २ डायबिटीज का इलाज है. इलाज से मेरा अभिप्राय रेवेर्सल है.
टाइप २ डायबिटीज को आप रिवर्स कर सकते है. जीवनशैली में सुधार करके, सही प्रकार का भोजन करके और शारीरिक गतिविधियों को बड़ा कर इसको आसानी से मैनेज किया जा सकता है.
इसका निदान आपकी रक्त परीक्षण रिपोर्ट के आधार पर किया जा सकता है। इन टेस्ट के लिए आप अपने हेल्थ केयर प्रोफेशनल की मदद ले सकते हैं।
एक सामान्य से रक्त जाँच से ये पता किया जा सकता है की आप डायबिटिक है या प्रे डायबिटिक है और किस प्रकार के इलाज की जरूरत है.
प्रेडियबेटिक कंडीशन क्या है?
जैसा मैंने ऊपर समझाया की टाइप 2 डायबिटीज अचानक नहीं होती। इसमें वक्त लगता है.
बहुत वर्षो तक आप ऐसी स्थिति में रहते है जब आपमें डायबिटीज के कोई लक्षण नहीं दिक्ते है. परन्तु आपके रक्त में ग्लूकोस सामान्य से ज्यादा रहता है. ऐसी स्थिति को प्रेडियबेटिक (प्रे डायबिटिक ) कहा जाता है.
अगर इस स्टेज पर इसका पता चलता है तो समभाव है की बिना दवाई की सामान्य स्थिति में लौट सकते है. उसके लिए आपको वाकिंग, एक्सरसाइज, खान पान पर ध्यान इत्यादि की सलाह दी जाती है.
Type 2 Diabetes का प्रबंधन कैसे किया जा सकता है?
इसका प्रबंधन करने के लिए, आपको रक्त ग्लूकोज, कोलेस्ट्रॉल और रक्तचाप जैसे महत्वपूर्ण कारकों का प्रबंधन और नियंत्रण करना होगा। अगर आप स्मोकिंग करते हैं तो आपको स्मोकिंग छोड़ने की कोशिश करनी चाहिए।
स्वस्थ भोजन, एक्सरसाइज, खान पान में समय की पाबंधी इत्यादि से आप अपने रक्त में ग्लूकोस की मात्रा को नियंत्रित कर सकते है. साथ ही आपको डॉक्टर जो दवाई सुझाते है उन्हें नियमित ले.
मधुमेह से जुडी समस्याएं
यदि मधुमेह पर ध्यान नहीं दिया गया तो कई अन्य स्वास्थ समस्याएं हो सकती है. उदहारण के लिए आपको इनमे से कोई एक या ज्यादा समस्याओं का सामना करना पढ़ सकता है.
- आघात
- नुरोलॉजिकल क्षति
- गुर्दे की समस्या
- दिल से जुड़ी समस्याएं
- दृष्टि से संबंधित समस्याएं
- यौन समस्याएं
मोटापा बढ़ने के साथ आपको नॉन अल्कोहलिक फैटी लीवर या लीवर का सूजन की समस्या भी हो सकती है.
डिप्रेशन, स्लीप एपनिया और डिमेंशिया जैसी समस्याओं के लिए भी डायबिटीज जिम्मेदार हो सकती है।
शुगर की संभावना को कैसे कम करें?
ऐसे कई कदम हैं जिन्हें आप एनआईडीडीएम या टाइप 2 डायबिटीज विकसित करने की संभावनाओं को कम करने के लिए ले सकते हैं। यदि आप पहले से ही उस जोखिम ग्रुप में आते है जिन्हे डायबिटीज होने की संभावना सामान्य से अधिक है तो निम्नलिखित बातो का ध्यान रखे.
- वजन कम करने की कोशिश करें : अगर आप ओवरवेट या मोटे हैं तो आप कुछ एक्स्ट्रा वेट खोकर डायबिटीज को दूर रख सकते है. ख़ास कर पेट पर जमी चर्बी को दूर करना बहुत जरूरी है. । पेट की चर्बी कैसे कम करे उसपर हम एक अलग से आर्टिकल प्रेषित करेंगे.
यहां एक उदाहरण उद्धृत करने के लिए यदि आपका वजन वर्तमान में लगभग 100 किलो है, तो अपने वजन का 5 से 7 किलो खोने की कोशिश करें। - व्यायाम : शारीरिक गतिविधिया बढ़ने से मधुमेह से बहुत हद तक बचा जा सकता है. अगर आप दिन में ३० मिनट तेज चलेंगे तो भी बहुत फर्क पड़ेगा।
- एक स्वस्थ आहार लें: वजन कम करने के लिए छोटे भागों को खाकर कैलोरी की मात्रा को कम करें। ज्यादातर डॉक्टर कम फैट वाले खाने की सलाह देते हैं।
लेकिन, नए शोधों में पाया गया है कि फैट बेस्ड डाइट या कीटो डाइट मरीजों के लिए बेहद फायदेमंद साबित हो सकती है। हमने इस वेबसाइट पर कई और लेखों में इस पर चर्चा की है। - कार्बोहायड्रेट और शक्कर युक्त खाद्य पदार्थो से दूर रहे. ये खतरनाक है.
https://healthacharya.com/hi/%e0%a4%9f%e0%a4%be%e0%a4%87%e0%a4%aa-%e0%a5%a8-%e0%a4%a1%e0%a4%be%e0%a4%af%e0%a4%ac%e0%a4%bf%e0%a4%9f%e0%a5%80%e0%a4%9c-%e0%a4%95%e0%a5%8b-%e0%a4%b0%e0%a4%bf%e0%a4%b5%e0%a4%b0%e0%a5%8d%e0%a4%b8/